तीन साधु

                                             
           सुंदरपुर नाम का एक गांँव था। एक दिन उस गांँव में तीन साधु - महात्मा घूमते हुए आए और एक पीपल के पेड़ के नीचे बैठे थे। तभी एक औरत अपने घर से निकली, उसने घर के सामने सफेद लम्बी दाढ़ी में तीन साधु - महात्माओं को देखा। 
         औरत ने कहा “आप लोग कौन है ? और आपको क्या काम है?”
         एक साधु ने उत्तर दिया कि “हम तीनो साधु हैं और हमें भोजन करना है।
         औरत ने कहा “ ठीक है ! कृपया मेरे घर में पधारिये और भोजन ग्रहण कीजिए।”
         एक साधु ने प्रश्न किया “ क्या तुम्हारा पति घर में है?”
         औरत ने उत्तर दिया “नहीं, वह बाहर गये हैं।"
         तीनों साधु एक साथ बोले “तब हम अंदर नहीं आ सकते।”
         थोड़ी देर में पति घर वापस आया, पत्नी ने पति को साधुओं के बारे में बताया। पति पत्नी दोनों साधुओं के समक्ष गये और बोले कृपया आप लोग घर में प्रवेश करिये।
         एक साधु ने कहा “हम किसी घर में एक साथ प्रवेश नहीं करते हैं।"
औरत ने अचरज से पूछा “ऐसा क्यों है?”
         मध्य में खड़े साधु ने बोला “पुत्री मेरी दायीं तरफ खड़े साधु का नाम धन और बायीं तरफ खड़े साधु का नाम सफलता है, और मेरा नाम प्रेम है। तुम दोनो विचार - विमर्श करो कि तुम हम तीनो में से किसे बुलाना चाहती हो।”
         पति ने पत्नी से कहा “जल्दी से धन को बुला लेते हैं, उसके आने से हमारा घर धन - दौलत से भर जायेगा और कभी पैसे की कमी नहीं होगी। पत्नी बोली “क्यों न हम सफलता को बुला लें उसके आने से हम जो करेंगे, वो सही होगा और देखते - देखते धन दौलत के मालिक भी बन जायेंगे।
          दोनों ने अंततः निश्चय किया और आदमी ने साधुओं से कहा कि धन और सफलता में से जो आना चाहे, वो घर में आये।
          उनकी बात सुनकर साधुओं ने एक दूसरे की तरफ देखा और बिना कुछ कहे घर से दूर जाने लगे।
          औरत ने उन्हें रोकते हुये पूछा “आप लोग इस तरह वापस क्यों जा रहे हैं?"
          “पुत्री, हम तीनो साधु इसी तरह द्वार - द्वार जाते हैं, और हर घर में प्रवेश करने का प्रयास करते हैं, जो व्यक्ति लालच में आकर धन या सफलता को बुलाता है हम वहां से लौट जाते हैं और जो अपने घर में प्रेम का वास चाहता है, उसके यहांँ बारी - बारी से हम दोनों भी प्रवेश कर जाते हैं। इसलिये इतना याद रखना कि जहां प्रेम है वहां धन और सफलता की कमी नहीं होती।” ऐसा कहते हुये धन और सफलता नामक साधुओं ने अपनी बात समाप्त की।

सबक :- प्रेम, त्याग और सदभावना को दर्शाता है। जबकि गुस्सा, नफरत और अहंकार को। इसलिये त्याग और सदभावना के साथ किया गया कार्य आप को सफलता और धन की प्राप्ति ज़रूर कराएगा।